किसी राशि के वास्तविक मान एवं मापे गये मान के अन्तर को मापन की त्रुटि कहते हैं।

त्रुटियों का वर्गीकरण (CLASSIFICATION OF ERRORS)
त्रुटियां विभिन्ना स्रोतों से उत्पन्न हो सकती हैं। इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार है :
क्रमबद्ध त्रुटि (Systematic or Controllable Errors) : क्रमबद्ध त्रुटि वो त्रुटि होती है जिसका कारण ज्ञात होता हैं। ये त्रुटियाँ धनात्मक या ऋणात्मक हो सकती हैं। कारण ज्ञात होने के कारण इन्हें न्यूनतम किया जा सकता है। क्रमबद्ध त्रुटि को भी तीन प्रकार से वर्गीकत किया जा सकता है।
उपकरणीय त्रुटि (Instrumental Errors) :- ये त्रुटियाँ किसी उपकरण की अपूर्ण आवति या दोषयुक्त बनावट या मापन उपकरण के गलत उपयोग के कारण उत्पन्ना होती है। इनको अत्यधिक यथार्थ उपकरण का प्रयोग करके कम किया जा सकता है।
वातावरणीय त्रुटि (Environmental Errors) :- इस प्रकार की त्रुटि बाहरी ताप, दाब, आर्द्रता, धूल, कंपन्न या चुम्बकीय और विद्युत क्षेत्र में परिवर्तन के कारण उत्पन्ना होती है।
प्रेक्षणात्मक त्रुटि (Observational Errors) :- इस प्रकार की त्रुटि उपकरण को अनुपयुक्त तरीके से देखने या प्रेक्षण में असावधानी रखने के कारण उत्पन्ना होती है।
यादच्छिक त्रुटि (Random Errors) :
ये त्रुटियां अज्ञात कारणों के कारण उत्पन्ना होती है। इसलिए ये अनियमित होती है और इनके परिमाण तथा चिन्ह निश्चित नहीं होतें है। कारण ज्ञात नहीं होने के कारण ये त्रुटियां पूर्णतः समाप्त नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए जब एक ही व्यक्ति एक प्रेक्षण दोहराता है वह भिन्ना समय पर भिन्ना पाठ्यांक प्राप्त कर सकता है। यादच्छिक त्रुटि को कम करने के लिए मापन प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है। तथा इन सभी प्रेक्षणों के अंकगणितीय माध्य को मापित राशि का शुद्ध मान मानते हैं। यह माध्य मान शुद्ध पाठ्यांक के अत्यधिक समीप होता है।
Note : जब प्रेक्षणों की संख्या n गुना कर दी जाये तो यादच्छिक त्रुटि कम हो कर 1/n गुना हो जाती है।
Example:- यदि 100 पाठ्यांको के अंकगणितीय माध्य में यादच्छिक त्रुटि
‘x’ हो तो 500 पाठ्यांको के माध्य में यादच्छिक त्रुटि X/5
होगी ।
सकल त्रुटि (Gross Errors ):
इस प्रकार की त्रुटि प्रेक्षक की यंत्र के मापन को पढ़ने में या
गणना करके लिखने में असावधानी के कारण उत्पन्न होती है।
उदाहरण के लिए :
किसी उपकरण को बिना व्यवस्थित किये पाठ्यांक लेने पर
उपयुक्त सावधानियाँ न लेते हुए पाठ्यांक लेने पर
प्रेक्षण का गलत अंकन करने पर ।
गणना करते समय प्रेक्षण के गलत मानों को रखने पर प्रेक्षक की सावधानी और सतर्कता बढ़ाकर इस प्रकार की त्रुटियाँ कम की जा सकती है।
IMPORTANT POINTS
प्रयोग के साथ क्रमबद्ध त्रुटियां एक समान रूप से दोहराई जाती है। जबकि यादच्छिक त्रुटि अकस्मात् होती है। इनका मान, निकाय तथा परिस्थितियों से ज्ञात नहीं किया जा सकता। निकायी त्रुटि प्रायोगिक तकनीकों में सुधार करके, अच्छे यंत्र चुनकर तथा व्यक्तिगत निपुणता में सुधार करके कम की जा सकती है। जबकि यादच्छिक त्रुटि प्रेक्षण को बार-बार दोहरा कर कम की जा सकती है।
माध्य निरपेक्ष त्रुटि की मात्रक एवं विमाएं उसी राशि के समान होती है जबकि सापेक्ष त्रुटि मात्रकहीन तथा विमाहीन होती है। निरपेक्ष त्रुटि धनात्मक या ऋणात्मक दोनों हो सकती है।
Example –
बेलन की लम्बाई के मापन में वर्नियर कैलीपर्स से लिये गये पाठ्यांक निम्न प्रकार हैं
3.29 cm, 3.28 cm, 3.29 cm, 3.31 cm,
3.28 cm, 3.27 cm, 3.29 cm, 3.30 cm ज्ञात कीजिए –
(a) बेलन की वास्तविक लम्बाई
(b) प्रत्येक पाठ्यांक में निरपेक्ष त्रुटि (c) माध्य निरपेक्ष त्रुटि
(d) सापेक्ष त्रुटि
(e) प्रतिशत त्रुटि परिणाम निरपेक्ष त्रुटि तथा प्रतिशत त्रुटि के पदों में लिखिये ।